Dhoni ने फ़ोन नहीं उठाया तो इस बड़ा खिलाड़ी ने 10 साल से बातचीत बंद की!




महेंद्र सिंह धोनी हरदिल अज़ीज़ हैं। पर कुछ ऐसा है कि उनकी उत्तरी भारत के क्रिकेटरों से नहीं बनती है। ख़ासकर उनसे जो उनके समकालीन हैं। धोनी की आलोचना टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर काफ़ी करते आये हैं। उनको लगता है कि 2011 का विश्व कप जो इंडिया ने जीता था उसमें लोगो को धोनी का फ़ाइनल में छक्का याद है। पर ख़ुद गंभीर ने जो 97 रन बनाये थे उसकी बात ही नहीं होती। उधर युवराज सिंह को भी धोनी से शिकवा है। उनको पिता योगराज सिंह तो साफ़ कहते हैं कि धोनी ने उनकर बेटे का करियर ख़राब किया है। युवराज ने 2011 के ही विश्वकप में अहम भूमिका निभाई थी। युवराज कैंसर से जूझ रहे थे। फिर भी उनका प्रदर्शन गेंद और बल्ले दोनों से शानदार रहा था। ये कहना ग़लत नहीं होगा कि अगर युवराज ना होते तो इंडिया वो वर्ल्ड कप नहीं जीतता। अब धोनी की आलोचना हरभजन सिंह कर रहे हैं। हरभजन कहते हैं कि पिछले दस सालों से उन्होंने धोनी से फ़ोन पर बात नहीं की। हरभजन कहते हैं कि जब 2014 में मैं चेन्नई सुपर किंग्स के लिए आईपीएल खेला था तब मैदान पर मेरी बात धोनी से होती थी। पर उसके बाद दस सालों से मेरी बात उनसे नहीं हुई है। हरभजन कहते हैं कि उनका एक असूल है। और वो ये कि अगर कोई उनका फ़ोन दो या तीन बार ना उठाये, या कॉल मिस होने पर रिटर्न कॉल ना करे, तो वो उसे फ़ोन नहीं करते हैं। इसलिए उनकी धोनी से बातचीत पिछले 10 सालों से बंद है। ये बात सोचने की है। जहां धोनी को हर कोई चाहता है, जहां हर युवा खिलाड़ी कहता है कि धोनी उनके लिए भगवान की तरह हैं वहीं ये चंद उनके समकालीन खिलाड़ी उनकी आलोचना क्यों करते हैं। एक तो ये इल्ज़ाम लगाना ग़लत सा लगता है कि धोनी उत्तर भारत के लड़कों से उनकी नहीं बनती है। धोनी के सबसे अच्छे दोस्त आरपी सिंह है जो उत्तर प्रदेश से खेलते थे। एक बार तो धोनी ने आरपी को बाहर से बुलाकर इंग्लैंड में टेस्ट मैच खिला दिया था। धोनी ने विराट कोहली के लिए भी जो कुछ किया वो किसी से छुपा नहीं है। अगर धोनी विराट को ऑस्ट्रेलिया में दूसरे टेस्ट मैच में मौक़ा नहीं देते, तो शायद विराट 2012 में ही लुप्त हो जाते। और जहां तक फ़ोन ना उठाने की बात है, ये धोनी की आदत है। वो चयनकर्त्त्यों के भी फ़ोन नहीं उठाते थे। और तो और अमिताभ बच्चन को भी ये शिकायत थी कि धोनी उनका फ़ोन नहीं उठाते। इसी मसले से जुड़ी एक दिलचस्प बात आपको बताते है। युवराज और हरभजन की भले ही धोनी से नहीं बनती हो। पर दोनों सचिन तेंदुलकर के चहेते हैं। और सचिन तेंदुलकर और एमएस धोनी दोनों में एक दूसरे के लिया काफ़ी सम्मान भाव है। यहाँ तक कि अगर धोनी T20 के कप्तान बने तो तेंदुलकर की वजह से। तेंदुलकर ने 2007 के T20 वर्ल्ड कप की कप्तानी से इनकार ही नहीं किया बल्कि उन्होंने चयनकर्त्त्यों से कहाँ की धोनी को कप्तान बनाओ। असल में बात ये है कि बड़े क्रिकेटरों की आमुमन बड़ी नाक होती है। बात बात में तुनक उठते हैं। और उनका ग़ुस्सा सुर्ख़ियाँ बन जाता है।